रायपुर ( अतुल दुबे ). प्रदेश की जीवन दायिनी महानदी और इसकी सहायक नदियों को बचाने के लिए काम शुरू हो गया है। महानदी सहित देश की 13 नदियों को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। इस प्रोजेक्ट में गंगा तरह इन नदियों को स्वच्छ और पानी को निर्मल बनाने के लिए काम किया जाएगा। इसमें महानदी के दोनों किनारों पर 5-5 किलोमीटर और इसकी सहायक नदियों में दोनों ओर ढाई-ढाई किलोमीटर के क्षेत्र में वनीकरण सहित अन्य काम कराए जाएंगे।
महानदी सिहावा के पास पर्वत से निकलकर बंगाल की खाडी तक 855 किलोमीटर लंबी है। जानकारी के मुताबिक वन अनुसंधान संस्थान देहरादून (एफआरआई ) को प्रोजेक्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। संस्थान ने भी काम शुरू कर दिया है। एफआरआई की वन उत्पादकता संस्थान रांची की टीम इन दिनों प्रदेश में नदियों का सर्वे कर रही है। सर्वे में मौजूदा स्थिति व स्वच्छ बनाने के लिए जरूरी कामों की रिपोर्ट बनाकर 31 मार्च तक दी जाएगी। इसके बाद वन अनुसंधान संस्थान प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर भारत सरकार को देगा। स्वीकृति व बजट मिलने के बाद जमीन पर काम शुरू होगा। प्रोजेक्ट में महानदी व सहायक नदियां शिवनाथ, जोंक, मांड, तेल शामिल हैं।
महानदी के पानी में कई गुना ज्यादा बैक्टीरिया
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की तीन साल पहले आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की महानदी, अरपा और शिवनाथ नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। 100 मिलीलीटर पानी में बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इन नदियों में पैरामीटर से हजारों गुना ज्यादा बैक्टीरिया पाया गया। कोलिफॉर्म की मौजूदगी के चलते इन तीनों नदियों में पानी खराब है। सीपीसीबी ने 2005 से 2013 तक के आकड़ों को आधार बनाकर जांच की थी। 40 नदियों की जांच में 35 में प्रदूषण मिला।
यह सर्वे कर रही टीम
नदियों के आसपास कैसे पेड़ पौधे हैं। राेपे गए पौधों की क्या स्थिति है। आसपास खेती कैसी है। मिट्टी किस तरह की है। कौन से पौधे क्षेत्र अनुसार जल्दी बढ़ेंगे। लंबे समय तक बने रहेंगे। टीम फोटोग्राफ्स भी ले रही है। टीम सर्वे में आई जानकारी के आधार पर ही सुधार व जरूरी कामों की रिपोर्ट तैयार करेगी।
नमामि गंगे के दूसरे चरण में यह नदियां शामिल: महानदी, कावेरी, यमुना, चंबल, इंद्रावती, ताप्ती, बेतवा, सतलुज, नर्मदा, कोसी, कृष्णा, गोदावरी, सतलुज।